आप सभी को होलीबहुत बहुत मुबारक हो
.........कहीं ये अर्थ न खो दें
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मनोभावों को करते व्यक्त
सारे रंग होली के
बहुत सुंदर ,बहुत गहरे हैं
सारे रंग होली के
ये पीले, लाल, नारंगी
हरे, नीले , गुलाबी सब
छिपाए अपने अंदर
रंग, हैं भंडार अर्थों का
सभी रंगों के अर्थों में
मिलेगी भिन्नता, लेकिन
कोई इक चीज़ है जो
इन सभी रंगों में साझी है
वो है संवेदना
जो प्यार की भाषा समझती है,
वो है सद्भावना
जो मित्रता की बात करती है ,
ये हैं संदेश देते
एकता के और समन्वय के
नहीं कोई बड़ा-छोटा,
न कोई रंक न राजा
यही हम सुनते आए थे
यही अनुभव हमारा था
मगर मुझ में न जाने क्यों
ये पिछले चंद सालों से
पनपने सा लगा इक भय
कहीं ये प्यारे सुंदर रंग
अपने अर्थ न खो दें
कहीं टेसू के फूलों की जगह
तेज़ाब न ले ले ?
कहीं सद्भावना, दुर्भावना से
हार न जाए ?
कहीं आरक्षणों का विष
रहीम और राम के मन से
समन्वय को हटा कर
एकता को नोच न फेंके ?
न जाने कितने लोगों का
यही इक भय जो
सोते जागते हर दम
हमारा पीछा करता है
कहीं ये प्यारे प्यारे रंग
अपने अर्थ न खो दें ?
चलो अपनी जगह हम सब
यही बस एक प्रण कर लें
यही दृढ़ता से निर्णय लें
न होने देंगे कम
सौंदर्य हम होली के रंगों का
हमें इनकार है
दुनिया की सारी ऐसी चीज़ों से
विचारों की जो सुंदरता को
कर दें नष्ट दुनिया से
न खोने देंगे हम,कोई भी
क़ुदरत का हसीं तोहफ़ा
न धुंधला होने देंगे अर्थ
इन होली के रंगों का
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