बिल्कुल छोटी बह्र में एक हिन्दी ग़ज़ल की कोशिश
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ग़ज़ल
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उन की आहट
सिमटा घूँघट
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ये कौन आया
मन के चौखट
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भाव छिपाएं
नैनों के पट
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संबंधों में
कैसी बनवट ?
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अँधी नगरी
राजा चौपट
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जीवन यापन
भारी संकट
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त्याग करे वो
जिस में जीवट
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निर्जन पनघट
विजयी मरघट
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बेहतरीन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मुकेश जी
हटाएंनिर्जन पनघट
जवाब देंहटाएंविजयी मरघट
कमाल..... इतनी छोटी बह्र में लिखना बड़ी बह्र से कहीं ज़्यादा मुश्किल काम है. लेकिन ये मुश्किल काम भी तुमने बखूबी निभाया.
शुक्रिया जी
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 06 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंबहुत खूब, छोटी बह्र की खूबसूरत और बड़ी उम्दा ग़ज़ल ! दिली मुबारकबाद !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंवाह !!!!
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